चंद्रयान से सम्बन्धित जानकारी
15 August 2003 – अटल बिहारी वाजपेयी जी ने औपचारिक शुरुवात की थी
चंद्रयान – 1
लॉन्च | 22 October 2008 |
लॉन्च किया | सतीश धवन केंद्र (हरिकोटा ) से |
मिशन का नाम | ओर्बिटर मिशन (केवल चारों ओर घुमने वाला मिशन था ) |
राकेट का नाम | PSLV – C – 11 |
NOTE – जल की उपलब्धता का पता लगाया
चंद्रयान – 2
लॉन्च | 22 July 2019 |
रोकेट का नाम | GSLV – MK – 3 MI |
वजन | 3850 Kg |
इसमें ओर्बिटर + लैंडर + रोवर, ये तीनो थे!
ओर्बिटर = चारों ओर घूमने वाला
लैंडर = सतह पर उतरने वाला लैंडर का नाम = विक्रम रोवर = सतह पर चलने वाला रोवर का नाम = प्रज्ञान
Note – दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिग करने से 2 KM पहले Speed बढ़ने से क्रेश हो गया था!
चंद्रयान – 3
लॉन्च | 14 July 2023 (2:35 pm) |
लागत | 615 करोड़ रूपए |
रोकेट का नाम | LVM – 3 – M4 (बाहुबली नाम दिया) |
चंद्रमा पर लैंडिग | 23 – 24 August को |
वजन | 3900 Kg |
इसमें 3 मोड्यूल है –
- प्रणोदक मोड्यूल
- लैंडर मोड्यूल
- रोवर मोड्यूल
NOTE ; इसमें ओर्बिटर मोड्यूल को नही डाला गया है !
दक्षिण ध्रुव पर लैंडिग करना कठिन क्यों है –
- सूर्य का प्रकाश यहाँ नहीं पहुचं पाता है !
- क्रेटर , गड्ढ़े बहुत सारे है !
- – 230 डिग्री तापमान यहाँ पर है !
Stage – 1 को नाम दिया गया है = S–200
इसमें 2 रोकेट बूस्टर लगे होते है और Solid Fuel भरा होता है ! गति नियंत्रण नहीं होती है ! S - 200 लांचिंग के 2 मिनट बाद रोकेट से अलग हो गया था !
Stage – 2 को नाम दिया गया है = L110
इसमें Liquid Fuel होता है और विकास इंजन इसमें लगा होता है L110, 306 सेकेण्ड के बाद अलग हो गया था !
Stage – 3 को नाम दिया गया है = C – 25
यहाँ क्रायोजेनिक इंजन लगा होता है !
चंद्रयान – 3 लॉन्च होना क्यों जरूरी है-
- चंद्रयान – 2 की असफलता से उबरने के लिए
- South Pole पर लैंडिग करने वाला भारत पहला देश बनेगा
- चंद्रमा की सतह पर रासायनिक व खनिज संरचना का पता लगाने के लिए !